आज का सुविचार:
सौ बात
की एक बात, जिन शृंखलाओं के लिए दशकों
की प्रतीक्षा करवाई गई, आज अचानक से एक घोषणा ने ये सिद्ध कर दिया की इस कॉमिक्स जगत
मे सब कुछ संभव है। अनुपम कला से समृद्ध इस शृंखला के साथ ही भारतीय कॉमिक्स उद्योग
के पुरोधा प्रकाशकों की घरेलू प्रतिस्पर्धा ने नया आयाम ले लिया है। सन २००० के बाद
से अनुपम कलाकृति पर दूसरों की कालिख पूत गई थी। हालांकि ये मेरा व्यक्तिगत विचार है।
ये प्रयोग काफी रोचक है जिसमे शुद्ध कलाकृति, बिना मिलावट मिलने की संभावना है। चीन
जापान और दुनिया की बातें करते करते घरेलू देशी उत्पाद को लंबे समय तक अनदेखा किया
गया। प्रशंकसकों मे इस घोषणा के साथ ही उत्साह की लहर दौड़ गई है। अब एक ही शृंखला को
विभिन्न गुणवत्ता मे मिलने की घोषणा मे सस्ती कॉमिक्स के मसीहा का योगदान अपेक्षित
है। समय माफिक सही उत्पाद की सही विपणन ही सफलता की कुंजी कहलाई जाती है। इस संदर्भ
मे अब उन सारी शृंखलाओं के लिए दोबारा आशा की किरण दिखने लगी हैं जो लंबे अंतराल से
अपेक्षित है। साथ ही, विछोह की परंपरा को काटती, संयुक्त एकल कथा संस्करण शक्ति प्रदर्शन
करने को तैयार है। हालांकि तथाकथित अधपका फल का स्वाद समय आने पर ही पता चलेगा।
इतिहास
साक्षी है की उद्योगिक प्रतिस्पर्धा मे लाभ, ग्राहकों का होता है।
इस
समय मैं उत्साहित हूं।
आगे
देखते हैं।।
विशेष विज्ञप्ति: उपरोक्त विषय मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण है। मेरा उद्देश्य इस लेख के माध्यम से किसी को ठेस पहुंचना नहीं है। प्रबुद्ध पाठकों का विवेक वांछनीय है।
No comments:
Post a Comment